राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार को अब ‘हॉकी के जादूगर’ के नाम से जाना जाएगा, हुआ मेजर ध्यानचंद खेलरत्न पुरस्कार

सेंट्रल डेस्क: टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम की 41 साल बाद मेडल जीत के बाद देशवासियों की भावना को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला किया है। बता दें, भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 हराते हुए ब्रान्ज मेडल अपने नाम किया था। 1980 मास्को ओलंपिक के बाद ये पहली बार है जब हॉकी टीम पॉडियम फिनिश करने में सफल रही.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सर्वोच्च खेल अवार्ड राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर मेजर ध्यानचंद रखे जाने का ऐलान किया है. पीएम मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट कर ये जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट किया, “मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे जिन्होंने भारत के लिए सम्मान और गौरव लाया. यह सही है कि हमारे देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्हीं के नाम पर रखा जाएगा.

गौरतलब है कि भारत के सर्वोच्च खेल अवार्ड की स्थापना 1991-92 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर हुई थी. ये अवार्ड अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पिछले चार साल की अवधि में खेल क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भारत के खिलाड़ियों को हर साल दिया जाता है. इस अवार्ड के तहत खिलाड़ी को 25 लाख रुपए की पुरस्कार राशि, एक पदक और एक प्रमाण पत्र दिया जाता है. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाएगा.

मोदी ने कहा कि मुझे पूरे भारत के नागरिकों से खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने के लिए कई अनुरोध मिल रहे हैं. उनकी भावना का सम्मान करते हुए, खेल रत्न पुरस्कार को मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा.अपने ट्वीट में पीएम ने कहा, “देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है। जय हिंद!”

खेल रत्न पुरस्कार का इतिहास

खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत 1991-1992 में हुई और सबसे पहले ये पुरस्कार शतरंज के दिग्गज विश्वनाथन आनंद को दिया गया था. इसके दूसरे विजेताओं में लिएंडर पेस, सचिन तेंदुलकर, धनराज पिल्ले, पुलेला गोपीचंद, अभिनव बिंद्रा, अंजू बॉबी जॉर्ज, मैरी कॉम और रानी रामपाल का नाम भी शामलि है। इस पुरस्कार के तहत 25 लाख रुपए का नकद इनाम मिलता है.

मेजर ध्यानचंद- द विजार्ड

द विजार्ड के नाम से मशहूर, फील्ड हॉकी खिलाड़ी, मेजर ध्यानचंद ने 1926 से 1949 तक अंतरराष्ट्रीय हॉकी खेली. अपने करियर में 400 से ज्यादा गोल किए. इलाहाबाद में जन्मे ध्यानचंद उस ओलंपिक टीम का हिस्सा थे, जिसने 1928, 1932 और 1936 में गोल्ड मेडल जीते थे.

खेल रत्न पुरस्कार के अलावा, खेल में आजीवन उपलब्धि के लिए देश का सर्वोच्च पुरस्कार भी ध्यानचंद पुरस्कार भी मेजर ध्यानचंद के नाम से जाना जाता है. इसे 2002 में शुरू किया गया था. नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम का नाम भी 2002 में बदल कर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम कर दिया गया था.

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